Safalta ki Kahaniyan Hindi
Safalta ki Kahaniyan को पड़ने का मुख्या उद्देश्य होता है के ये हमारे जीवन मै प्रेरणा का स्रोत होती हैं। हर सफल वियक्ति को कही न कहीं से प्रेतना मिलती है। मै उम्मीद करता हूँ की ये पोस्ट safalta ki kahaniyan आपके जीवन मै प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
अधिकांश लोग अपने काम या जीवन यापन के लिए एक अदद नौकरी में एक डेस्क के पीछे फंस गए या कुछ मध्य प्रबंधन रसातल में हमेशा के लिए खो गए।
यह जीने के लिए निराशाजनक है और देखने के लिए उदास है, लेकिन यह कामकाजी जीवन की वास्तविकता है।
ये हमारे देश का दुर्भाग्य है के हमारी इतनी शिक्षा के बावजूद भी हम एक नौकरी की तलाश ही करते है। हमें हमारी शिक्षा कौशल नहीं सिखाती।
किन्तु हमें निराश नहीं होना चाहिए हमें अवसर की खोज करनी चाहिए और निरंतर प्रयास करने वाला वियक्ति ही सफल होता है। कोई भी शिक्षा या संसथान किसी व्यक्ति को उसके सपने पूरे करके नहीं दे सकता है।
वल्कि उसका प्रयास ही उसे सफल बनता है। और निरंतर प्रयास के लिए ही एक प्रेरणा की आवश्यकता होती है जो हम मैं इतनी इनर्जी भर देती है के सफलता तक हम रुकते नहीं हैं।
आज का ये पोस्ट (safalta ki kahaniyan) आपको वो प्रेरणा देगा जिसकी आपको तलाश है।
अवसर की खोज करें। Safalta ki Kahaniyan
यदि आप किसी के यहाँ एक नौकरी मै फस कर अपना जीवन व्यतीत नहीं करना कहते तो आपको अवसर की खोज करनी होगी। एक अच्छा अवसर ही आपको सफल बना सकता है।
सवाल ये उठता है के अवसर की तलाश कैसे करें?
जबाब है के आप किस समाज मै रहते है उनकी ज़रूरत क्या है उनकी समस्याएं क्या हैं और आपका ज्ञान उनकी प्रति क्या है।
जब आप एक अवसर की तलाश कर रहे होते हैं तो इन तीनों चीज़ों का दायरा आपको बढ़ाना होगा, आपको अपने ज्ञान, कौशल और विवेक को बढ़ाना होगा और साथ ही तलाश करनी होगी की आप उन समस्याओं को कैसे हल कर सकते हो। और इसमें कैसे अपना भविष्य बना सकते हैं।
यदि आपने उन समस्याओं को समझ लिया और उनका समाधान निकाल लिया तो आप कामयाबी के एक पायदान पर चढ़ गए हो।
अब इस समाधान को लोगो तक पहुंचने की ज़रूरत है क्यों की जो समाधान आपने निकला है उसकी ज़रूरत न सिर्फ आपके समाज को बल्कि हर समाज को है। अब आप एक सफल वियक्ति है और मार्किट बहुत बड़ा है।
आपने आप को चिनौती दें।
यदि आप खुद को चिनौती नहीं दे सकते तो आप कैसे सफल हो सकते हो। चिनोतियाँ ही एक सुखद एहसास करतीं हैं जब इन्हे पूरा किया जाता है।
जब आप कुछ नया करने जाते हो तो सबसे बड़ी चिनौती आपका परिवार और समाज होता है। “ये क्या कर रहा है पुश्तैनी काम कर ना” अक्सर लोग इस चिनौती का सामना नहीं कर पते और परास्त हो जाते हैं।
आपको इसे भी एक चिनौती के तोर पर लेना चाहिए और अपनी चिनोतियों को लगातार बढ़ाते रहना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते तेहना चाहिए याद रखो निरंतर प्रयास करने वालो की कभी हार नहीं होती।
नेतृतव की भूमिका को निखारें।
आपको याद रखना होगा के आप कुछ ऐसा करने जा रहे है जो थोड़ा अलग है तो आपको नेतृतव की भूमिका को निखारें की आवश्यकता है। आप तब तक नेता नहीं हैं जब तक लोग आपका अनुसरण नहीं करते।
आपको सोचना होगा लोगों को आपका अनुसरण करने में क्या लगता है? इसके बारे में सोचो। किसी काम की पहल करना।
एक विचार, एक दिशा, एक लक्ष्य के साथ आओ। फिर इसे प्राप्त करने के लिए चार्ज का नेतृत्व करें। अपनी गर्दन को बाहर रखें, चीजों को करें, चीजों को प्राप्त करें, वास्तविक औसत दर्जे का परिणाम दें, और अपने आप को जवाबदेह रखें।
Safalta ki Kahaniyan
अबतक जो आपने पड़ा उससे आप थोड़े भ्रमित हो सकते हो। लगता होगा अवसर कैसे ढूंढें क्या करे कुछ खुल कर नहीं पता चला।
कोई बात नहीं जैसा के मैंने वादा किया था ये पोस्ट आपको प्रेरणा से भर देगा आपको सफल बनाने के लिए तो मै आपको एक स्टोरी भी सुनाता हूँ
एक ऐसे वियक्ति की जिसके पास काम संसाधन थे और वो अधिक पढ़ालिखा भी नहीं था। किन्तु उसमे एक खूबी थी वो किसी भी कार्य को छोटा या बड़ा नहीं समझता था।
अर्जुन की Safalta ki Kahaniyan
अर्जुन का जीवन बहुत समस्याओं से घिरा हुआ था वो अधिक पड़ा लिखा भी नहीं था जिसकी वजह से उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी। अपना और अपने परिवार का भरण पोषण के लिए वो मज़दूरी करता था।
एक दिन उसने सोचा के अगर इसी तरह वो सिर्फ मज़दूरी ही करता रहा तो वो अपने बच्चो को कैसे अच्छी शिक्षा दे पाएगा और उसके बच्चे भी बड़े होकर मज़दूर ही बन जाएंगे।
अपनी इस सोच से वो बहुत चिंतित हो गया। अब वो हर समय यही सोचता के वो ऐसा किया करे जिससे उसके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।
तब उसने इरादा किया के वो किसी ऐसे अवसर की तलाश करेगा जो उसकी और उसके परिवार की दशा बदल सकता हो। किन्तु उसे समझ नहीं आ रहा था के शुरुआत कहाँ से की जाए।
वो अब हर समय बस यही सोचता रहता किन्तु उसे समाधान नहीं मिल रहा था।
एक दिन वो घर बैठा यही सोच रहा था के उसका बड़ा बेटा पास आया और कहा के पापा ठेले वाला आया है आइसक्रीम बेच रहा है पैसे दो।
अर्जुन ने पैसे दे दिए तब उसे समझ आया के ठेले वाला 10 या 15 दिन मै एक बार ही उसके गांव मै आता है और बच्चे तो रोज़ ही आइसक्रीम खाना चाहते है तो क्यों न वो ही इस काम को शुरू कर दे।
अपने काम के बाद उसे कुछ तो समय मिलता है जिसे वो इस्तेमाल कर सकता है इससे अतिरिक्त आय बढ़ जाएगी।
अब उसे एक “अवसर” मिल चूका था उसने इस्सके पूरा फायदा उठाया और एक ठेला खरीद कर आइसक्रीम बेचने लगा जिसने उसकी आय को कुछ बढ़ा दिया किन्तु इससे भी उसके समस्या कम नहीं हुई। क्यों की ये बहुत थोड़ा था और उसे अधिक चाहिए था।
उसने और सोचना शुरू किया तब उसने पाया के उसे आइसक्रीम बेचने के लिए आवाज़ लगनी पड़ती है जो दूर तक नहीं जाती इसका समाधान किया जय तो शायद आय बढ़ जाए। इसके समाधान मै अर्जुन ने अपने ठेले मैं एक घंटी लगवा ली।
जिससे उसे बहुत लाभ मिला और इसी लाभ ने उसे प्रेरित किया के वो अपने इस क़ाम को और अधिक भी तो बढ़ा सकता है।
अर्जुन ने तब खुद को चिनौती दी के वो इस कम को और बड़ा करेगा और एक सफल बिजनेसमैन बनेगा। अपने ठेले को ही वो एक ऐसा लुक देगा जो उसके कम की पहचान बनेगा और इसे दूर गांव व शहर मै भी इस्थापित करेगा।
नई सोच की शुरुआत। Safalta ki Kahaniyan
अर्जुन ने अपने उसी ठेले जो बहुत ही साधारण सा था को एक नया लुक देने के लिए डिज़ाइन करवाया जिसमे बहुत सारे रंगों का प्रयोग किया गया था। जो बच्चों को बहुत प्रभावित करते थे।
अब अर्जुन ने मज़दूरी छोड़ दी और अन्य गांव व पास के शहर मै भी जाने लगा। उसने अपनी पहचान बना ली थी बच्चे उसके आने का इंतज़ार करते
और जैसे जी वो आता बच्चे उसके ठेले पर टूट पड़ते। अब उसने अपने बिज़नेस का छेत्र बहुत बड़ा कर लिया था जहाँ प्रति दिन जाना संभव नहीं था।
अर्जुन ने इसका हल निकाला के वो इक और ऐसा ही ठेला बनाएगा और उसे चलाने के लिए किसी को नौकरी पर रखेगा। और उसने ऐसा ही किया जल्द ही उसे एक आदमी जो उसके ही गांव मै रहता था मिल गया। जिसने उसकी आय को दोगुना कर दिया।
तब अर्जुन को समझ आया के उसे क़ाम कैसे करना है उसने इसे ही एक दर्जन ठेले बनवाए और लोगों को नौकरी पर रख लिया अब उसे रोज़ क़ाम करने की आवश्यकता नहीं थी अब लोग उसके लिए क़ाम करते थे और वो बैठ कर पैसे गिनता था। उसके इस प्रयास ने उसे इक सफल वियक्ति बना दिया।
आज अर्जुन की कई शहरों मै शाखाएं है और अर्जुन अपने दफ्तर अपनी खुद की गाड़ी से जाता है।
निष्कर्ष
यदि आप अपने आप को पहचानते हो और कुछ भी छोटे से शुरू करके बड़ा करने की क्षमता रखते हो तो आज से ही शुरू करना चाहिए ( safalta ki kahaniya) और याद रखना चाहिए के कोई भी क़ाम छोटा या बड़ा नहीं होता। बड़ा होता है आपका प्रयास और आपका तरीका आपका लक्छ्य जिसे आप पाना चाहते हो।
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